Sunday, February 03, 2008

तू

तू असीम है, तू अप्रतिम है,
तू ही सत्य, तू ही त्याग, तुझसे ही सम्मान है,
तू मेरा सर्वस्व है, तुझसे ही मेरा जहान है ।

तू मेरे स्वप्न में है, तू ही मेरी समृद्धि में,
तू मेरे प्रयत्न में है, तू ही मेरी सिद्धि में,
मेरी बंदिश मे तू,
मेरे हर लब्ज, हर कशिश मे तू ।

मेरा हर कजरा तेरे लिये, मेरा हर गजरा तेरे लिये,
मेरा लम्हा गुजरा तेरे लिये, मेरा लम्हा ठहरा तेरे लिये,
मेरे जीने की आदत तू,
मेरी इबारत तू, मेरी इबादत तू ।

ना कोई उद्देश्य मेरा, ना ही मेरी परिभाषा है,
तू ही मेरी जागृति, तू ही मेरी जिजीविषा है,
मेरी प्रकृति में तू, मेरी प्रवृत्ति में तू,
स्नेह की सलज्जा वृत्ति में तू ।

तू ही मेरा उपनाम है, तू ही मेरा सर्वनाम है,
मेरी हर सिफत तू, हर उल्फत मे तेरा नाम है,
हर साज, हर नगमों मे तुम ही तुम हो,
मेरे हर हसीन महकमों में तुम ही तुम हो ।


भोर की परछाई में तू, दुपहरी की तन्हाई में तू,
शाम की शहनाई मे तू, निशा की गहराई में तू,
तू अथाह आकाश है,
मेरे लिये तू ही प्रकाश है ।

मेरी कविता है तू, हर प्रेरणा तुझसे, हर अलंकार तेरे लिये,
मेरे लेखनी की सरिता तू, मन का हर रस, श्रृंगार तेरे लिये,
मेरी अर्चना तू, मेरी वंदना तू,
हर स्तुति तू, हर अनुभुति तू ।

तुम हो तो हँसी है, खुशी है, तुम हो तो अपनत्व है,
जीवन में ताजगी, उन्मादगी और मीठा ममत्व है,
मेरी तपन में तू, मेरी लगन में तू,
चहकते जहन में तू, महकते गगन में तू ।

मेरी उम्मीद, मेरे विश्वास, सब पर तेरा वर्चस्व है,
मेरे कर्म मे तू, मेरे मर्म मे तू, तू ही मेरा सर्वस्व है।
मेरे सच मे तू, मेरे झूठ में तू, तू ही मेरा सर्वस्व है,
तू असीम है, तू अप्रतिम है, तू ही मेरा सर्वस्व है ।।

2 comments:

Anonymous said...

yeh tune kya likh daala, apne saare raazon ko ujagar kar daala, ab na puucchna yeh mujhse, ke kyun maine tujhe paagal karaar kar daala...
he he nice one kauki....
wat r u seeking?? so lost??

Amit K Sagar said...

सबकुछ बहुत उम्दा. लगे रहिये. शुभकामनायें.
---उल्तातीर: ultateer.blogspot.com