मेरी निगाहों को, अब और, तुम तरसाओ ना,
------------कौशल किशोर विद्यार्थी
करीब मेरे, फिर कब आओगी, तुम बताओ ना !
फासला ज्यादा नहीं, बस मीलों की दूरियां है,
अपनों के शहर में बैठ यूँ, तुम इतराओ ना !
रोज़ के अफ़सानों से, वाकिफ हो गए तो क्या,
बेवजह बहाना, आज कोई, तुम बनाओ ना !
बीते पहर का शुमार, कहो-- अब समझा मैंने,
ईद बीता, इन्तजार मुहर्रम का, तुम कराओ ना !
फलक भी सूना पड़ा है, तेरे आने के आस में,
सितारों की वो लंबी बातें फिर, तुम सुनाओ ना !
करवटों की कशिश से, आँखें सूजी, गर्दन टेढ़ी,
करवटों की कशिश से, आँखें सूजी, गर्दन टेढ़ी,
अपने आगोश में, नींद मेरी, तुम महकाओ ना !
पल का सफ़र संग मुमकिन हो, यही सोचता हूँ,
जहन मेरा, उल्फत में तेरे, तुम चहकाओ ना !
ख़ामोशी में धीमी साँसों की भी आवाज़ होती है,
हाथ पकड़, आहिस्ते- आहिस्ते, तुम गुनगुनाओ ना !
सावन में तो केवल शायर ही तनहा झूमता है,
शाम शमां की, रौशनी से, तुम सजाओ ना !
मेरे पेहलू का साया, कभी छोड़, तुम जाओ ना,
करीब मेरे, फिर, तुम आओ ना, तुम आओ ना !!!
------------कौशल किशोर विद्यार्थी
2 comments:
Bahut khub! "Aaj fir dil udas hai, na vo aaya na aane ki aas hai..."
Sir, I mm very fond off of poetry..
I am an Advocate in Rajasthan High Court Jaipur. Ex President Rajasthan High Court Bar Association Jaipur.
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