Sunday, January 28, 2018

बसंत

गुनगुनी धूप में, झूलों में बसंत, 
भीनी पछुआ के झोकों में बसंत,
ओस की इठलाती बूंदों में बसंत,
गेंदे के सुहाती फूलों में बसंत II
अठखेलती भँवरौं के गुंजन में बसंत,
प्रखर पल्लवों के उपवन में बसंत,
गुलशन के निखरते यौवन में बसंत,
उंघलाती शर्माती ठिठुरन में बसंत II
सरसों की शोख सुबकियों में बसंत,
आम की मदहोश मंजरियों में बसंत,
बेपरवाह मचलती तितलियों में बसंत,
गेहूं की बलखाती बालियों में बसंत II
महुआ की मादक महक में बसंत,
गोरैयों की चंचल चहक में बसंत,
मीठे चावल, गुड़ औ केसर में बसंत,
छिपते-छिपाते पल-पहर में बसंत II
कूकती कोयल की तरंगों में बसंत,
हिलकोरें खाती पतंगों में बसंत,
मधुमासी टेसू के रंगो में बसंत,
माघी मेले के उमंगों में बसंत II
सिन्दूरी शाम के बचपन में बसंत,
मटमैली भोर के आँगन में बसंत,
पंचमी में वीणा के वंदन में बसंत,
पूर्णिमा में होली के नंदन में बसंत II
पलाश में बसंत, अमलतास में बसंत,
हर आस में बसंत, एहसास में बसंत,
हर हास में बसंत, उल्लास में बसंत,
चहुँओर आज, बस, बसंत ही बसंत II
-------- कौशल किशोर विद्यार्थी